लद्दाख में हुई शातिं वार्ता (India-China)
India-China: यह वार्ता लद्दाख के चुमार-डेमचोक क्षेत्र में आयोजित की गई, जहां हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच कई बार संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हुई है। दोनों पक्षों ने इस बार एक सौहार्दपूर्ण बातचीत की और एक-दूसरे के साथ मिलकर शांति स्थापित करने की प्रतिबद्धता जताई।
पैट्रोलिंग पर सहमति: तनाव घटाने की दिशा में बड़ा कदम (India-China)
India-China: दोनों देशों के बीच हुई बातचीत का मुख्य केंद्र बिंदु था कि कैसे LAC पर पैट्रोलिंग को व्यवस्थित किया जाए ताकि अनावश्यक तनाव और टकराव की स्थिति से बचा जा सके। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए हैं कि LAC के विवादित क्षेत्रों में सीमित और संयमित पैट्रोलिंग की जाएगी, जो अंततः सैनिकों की पूरी तरह से वापसी और स्थायी शांति के लिए मार्ग प्रशस्त करेगी।
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India-China: भारतीय रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, यह समझौता दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह कदम दोनों देशों के बीच भविष्य के सैन्य संघर्षों को टालने और सीमा पर स्थायी शांति की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। समझौते के तहत, भारत और चीन दोनों अपनी-अपनी सेनाओं को सीमा से हटाने और उनकी संख्या को सीमित करने के लिए कदम उठाएंगे।
लद्दाख में तनाव की पृष्ठभूमि
India-China: भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव 2020 में गलवान घाटी संघर्ष के बाद से लगातार बना हुआ है, जिसमें दोनों पक्षों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़पें हुईं थीं। इस घटना के बाद से दोनों देशों ने LAC पर अपनी सैन्य उपस्थिति को बढ़ा दिया था, जिससे तनाव और बढ़ गया था। हालांकि, समय-समय पर दोनों देशों के बीच बातचीत होती रही है, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला था।
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लेकिन इस बार की बातचीत में, दोनों पक्षों ने सीमा पर यथास्थिति बनाए रखने और उसे व्यवस्थित ढंग से हल करने की दिशा में गंभीरता दिखाई है। यह वार्ता दोनों देशों के लिए एक सकारात्मक संकेत है, क्योंकि इससे पहले भी कई बार बातचीत के बावजूद कोई ठोस निर्णय नहीं हो सका था।
समझौते का वास्तविक प्रभाव
यह देखना बाकी है कि इस समझौते का वास्तविक प्रभाव कितना होगा, क्योंकि दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक रूप से सीमा विवाद एक जटिल और संवेदनशील मुद्दा रहा है। दोनों देशों के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा पर कई क्षेत्र विवादित हैं, और दोनों पक्षों के बीच इस मुद्दे पर गहरी असहमति बनी हुई है।यह समझौता विशेष रूप से तब महत्वपूर्ण हो जाता है जब हम देखते हैं कि एशिया में दोनों देशों के बीच राजनीतिक और आर्थिक प्रतिस्पर्धा बढ़ती जा रही है। भारत और चीन दोनों ही एशियाई महाशक्तियां हैं, और उनके बीच तनाव का प्रभाव पूरे क्षेत्र पर पड़ता है। इसलिए, इस तरह के समझौतों का स्वागत किया जा रहा है, ताकि दोनों देशों के बीच तनाव कम हो और उनके द्विपक्षीय संबंधों में सुधार हो सके।